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 भारत-पाकिस्तान हॉकी टीमों ने दिखाई खेल भावना: सुल्तान ऑफ जोहोर कप में हाई-फाइव से मिटाई कड़वाहट

By: Anjon Sarkar

On: Wednesday, October 15, 2025 7:56 AM

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 भारत-पाकिस्तान हॉकी टीमों ने दिखाई खेल पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने हाथ मिलाकर दिया शांति और सम्मान का संदेश

मलेशिया के जोहोर बाहुरु में सुल्तान ऑफ जोहोर कप के दौरान मंगलवार को एक ऐसा पल देखने को मिला जिसने खेल और इंसानियत, दोनों की असली भावना को उजागर किया। भारत और पाकिस्तान की जूनियर पुरुष हॉकी टीमों के बीच मुकाबले से पहले जब सभी को उम्मीद थी कि दोनों देशों के खिलाड़ी हाथ नहीं मिलाएंगे, उसी वक्त मैदान पर कुछ अलग ही नज़ारा दिखा। भारतीय खिलाड़ियों ने अपने पाकिस्तानी समकक्षों को हाई-फाइव देते हुए खेल भावना का परिचय दिया।

यह दृश्य इसलिए भी खास था क्योंकि एशिया कप 2025 और वनडे वर्ल्ड कप 2025 में भारत की पुरुष और महिला क्रिकेट टीमों ने पाकिस्तान खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से परहेज़ किया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद गहराया था। लेकिन हॉकी मैदान पर भारत के युवा खिलाड़ियों ने दुनिया को यह दिखाया कि खेल दुश्मनी नहीं, दोस्ती और सम्मान सिखाता है।

 हाई-फाइव से शुरुआत, हैंडशेक पर हुआ अंत: खेल भावना की मिसाल बना मैच

जब मैच शुरू होने वाला था, तब पाकिस्तानी खिलाड़ी एक लाइन में खड़े थे और भारतीय खिलाड़ी बारी-बारी से हर एक के पास जाकर हाई-फाइव देते हुए अपनी पोज़िशन पर लौटे। दोनों देशों के बीच हाल के तनावपूर्ण माहौल के बावजूद यह दृश्य खेल जगत के लिए एक उम्मीद की किरण बन गया।

पाकिस्तान हॉकी फेडरेशन (PHF) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहले ही अपने खिलाड़ियों को सलाह दी थी कि यदि भारतीय खिलाड़ी हाथ नहीं मिलाते, तो किसी भी भावनात्मक प्रतिक्रिया से बचना है। लेकिन जो हुआ, वह उम्मीदों के विपरीत था — खिलाड़ियों ने न केवल शुरुआत में हाई-फाइव किया, बल्कि मैच के बाद भी एक-दूसरे से हाथ मिलाकर सम्मान जताया।

 रोमांचक 3-3 ड्रॉ, पर जीत गई खेल भावना

मैदान पर मुकाबला उतना ही रोमांचक रहा जितना यह पल भावनात्मक था। पाकिस्तान ने शानदार शुरुआत करते हुए पहले पांचवें मिनट में हनन शाहिद के पेनल्टी स्ट्रोक से गोल किया और फिर सुफयान खान ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर स्कोर 2-0 कर दिया।

लेकिन भारतीय टीम ने हार नहीं मानी। तीसरे क्वार्टर में अराइजीत सिंह हुंदल ने पेनल्टी स्ट्रोक पर गोल दागा, फिर 47वें मिनट में सौरभ आनंद कुशवाहा ने बेहतरीन फिनिशिंग के साथ स्कोर बराबर किया। 53वें मिनट में मनमीत सिंह ने भारत को बढ़त दिलाई, पर सुफयान ने 55वें मिनट में फिर से गोल कर स्कोर 3-3 कर दिया।

मैच ड्रॉ रहा, लेकिन खेल भावना की जो मिसाल दोनों टीमों ने पेश की, उसने दर्शकों का दिल जीत लिया। मैच के अंत में जब भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी एक-दूसरे से हाथ मिलाते नज़र आए, तो स्टेडियम तालियों से गूंज उठा।

 भारत का शानदार प्रदर्शन जारी, वेस्ट इंडीज़ और ग्रेट ब्रिटेन पर मिली जीत

इस मैच से पहले भारत ने टूर्नामेंट में लगातार जीत दर्ज की थी। दिग्गज गोलकीपर पी.आर. श्रीजेश की कोचिंग में भारतीय टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को 3-2 और न्यूज़ीलैंड को 4-2 से हराया था। यह ड्रॉ के बावजूद भारत टूर्नामेंट में अपराजित बना हुआ है।

वहीं पाकिस्तान ने अपने पहले मैच में मेज़बान मलेशिया को 7-1 से हराया था, लेकिन दूसरे मैच में उसे ग्रेट ब्रिटेन से हार का सामना करना पड़ा। भारत के खिलाफ यह मुकाबला पाकिस्तान के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाला रहा, जबकि भारत ने अपनी लय और संयम दोनों को बरकरार रखा।

 खेल से बढ़कर संदेश: दोस्ती, सम्मान और एकता की झलक

सुल्तान ऑफ जोहोर कप के इस मैच ने यह साबित कर दिया कि खेल सीमाओं से परे है। जब राजनीति और मतभेदों ने दोनों देशों के रिश्तों में ठंडक ला दी थी, तब इन युवा खिलाड़ियों ने मैदान पर गर्मजोशी और मानवता की नई कहानी लिखी।

भारतीय हॉकी टीम के इस कदम ने न केवल देश के खेल प्रेमियों का दिल जीता, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सकारात्मक संदेश भी भेजा — कि खेल प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ सहयोग और सम्मान की भी भाषा सिखाता है।

 निष्कर्ष: नई पीढ़ी का संदेश – खेल दुश्मनी नहीं, दोस्ती सिखाता है

भारत और पाकिस्तान के बीच यह मुकाबला सिर्फ़ गोलों या अंकों का नहीं था, बल्कि यह खेल भावना और परिपक्वता का एक शानदार उदाहरण था। हाई-फाइव से शुरू हुआ यह मैच हैंडशेक के साथ खत्म हुआ — मानो दोनों देशों के खिलाड़ी यह कह रहे हों कि मतभेदों के बीच भी सम्मान ज़िंदा है।

हॉकी मैदान पर भारत की इस पहल ने साबित किया कि खेल में असली जीत विरोधी को हराने में नहीं, बल्कि उसे सम्मान देने में है।

 अस्वीकरण (Disclaimer):
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी समाचार स्रोतों और आधिकारिक बयानों पर आधारित है। लेख का उद्देश्य खेल भावना और सकारात्मक दृष्टिकोण को उजागर करना है, न कि किसी राजनीतिक मत या विचार को प्रस्तुत करना।

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