
धोनी का ‘नो-फोन रूल‘नो-फोन रूल’ ने सिखाया अनुशासन: साई किशोर ने बताया कैसे बदली उनकी सोच
आईपीएल की दुनिया में एम.एस. धोनी सिर्फ एक कप्तान नहीं, बल्कि अनुशासन और सादगी के प्रतीक माने जाते हैं। मैदान पर उनकी शांति, फैसलों की सटीकता और खिलाड़ियों को संभालने की कला ने उन्हें क्रिकेट इतिहास का महानतम लीडर बना दिया है। लेकिन धोनी का असली जादू सिर्फ उनके खेल में नहीं, बल्कि उनके जीवन के सिद्धांतों में भी झलकता है। यही सिद्धांत युवा खिलाड़ियों को जीवनभर प्रेरणा देते हैं, और इसी का असर हुआ तमिलनाडु के क्रिकेटर आर. साई किशोर पर, जिन्होंने धोनी से एक बेहद कीमती सबक सीखा — “फोन से दूरी, ध्यान में स्थिरता।”
धोनी का अनुशासन बना प्रेरणा
साई किशोर ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के साथ 2020 में की थी। उन्हें टीम ने ₹20 लाख में खरीदा था। दो सीज़न तक टीम का हिस्सा होने के बावजूद उन्हें मैदान पर खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन उनके लिए यह समय सबसे सीखने वाला दौर साबित हुआ। धोनी जैसे कप्तान के साथ रहना किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए एक विश्वविद्यालय से कम नहीं होता।
साई किशोर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे एम.एस. धोनी का ‘नो-फोन रूल’ उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। उन्होंने कहा, “मैंने एम.एस. धोनी से बहुत कुछ सीखा। वह कभी अपना फोन इस्तेमाल नहीं करते थे। मैच के दौरान तो वह फोन होटल के कमरे में ही छोड़ देते थे। यह देखकर मुझे बहुत प्रेरणा मिली। मैंने सोचा कि क्या वास्तव में सोशल मीडिया पर रहना जरूरी है? तभी मैंने समझा कि असली फोकस और अनुशासन क्या होता है।”
सोशल मीडिया से दूरी, सफलता के करीब
आज जब सोशल मीडिया हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है, धोनी जैसे खिलाड़ियों की सादगी और एकाग्रता सच में अनमोल उदाहरण हैं। धोनी का यह स्वभाव उनके खिलाड़ियों को यह सिखाता है कि सफलता के लिए शोर नहीं, बल्कि शांति जरूरी है। फोन से दूरी बनाना केवल डिजिटल डिटॉक्स नहीं, बल्कि अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने का एक तरीका है।
साई किशोर बताते हैं कि जब उन्होंने धोनी को देखा, तो उन्हें एहसास हुआ कि असली पेशेवर वही होता है जो खेल के समय सिर्फ खेल के बारे में सोचता है। धोनी की यही सोच उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाती है — वह कभी भी फालतू चीजों में खुद को उलझाते नहीं हैं।
साई किशोर की नई पहचान
धोनी के मार्गदर्शन और सीखे गए सबक के बाद साई किशोर ने अपनी अलग पहचान बनाई। 2022 में गुजरात टाइटंस ने उन्हें ₹3 करोड़ में खरीदा, और तभी से उनका करियर नई दिशा में आगे बढ़ा। आज वह भारत के सबसे प्रभावी टी20 गेंदबाजों में से एक हैं। उन्होंने 25 मैचों में 32 विकेट झटके हैं, और 8.85 की इकॉनमी से अपने ओवरों में नियंत्रण बनाए रखा है।
उनकी सबसे बड़ी ताकत है परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालने की क्षमता — चाहे पावरप्ले हो या मिडल ओवर्स, साई किशोर टीम के लिए भरोसेमंद स्पिनर साबित हुए हैं।
धोनी की विरासत का असर
एम.एस. धोनी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह सिर्फ एक कप्तान नहीं, बल्कि एक मेंटर हैं। उनके साथ खेलने वाला हर खिलाड़ी सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन भी सीखता है। साई किशोर जैसे खिलाड़ी इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।
धोनी का “नो-फोन रूल” सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि आत्म-नियंत्रण का प्रतीक है। यह हमें यह याद दिलाता है कि ध्यान, संयम और आत्म-अनुशासन ही किसी व्यक्ति को महान बनाते हैं — चाहे वह क्रिकेट हो या जीवन का कोई और क्षेत्र।
साई किशोर आज भी उस अनुशासन को अपने जीवन में अपनाए हुए हैं, और यही कारण है कि उनका सफर प्रेरणा से भरा हुआ है।
निष्कर्ष
जब बाकी दुनिया लाइक्स और फॉलोअर्स के पीछे भाग रही है, धोनी जैसे खिलाड़ी यह सिखाते हैं कि सच्ची सफलता भीतर की शांति और आत्म-नियंत्रण में है। साई किशोर की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर हम ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूरी बना लें, तो हर सपना हकीकत बन सकता है।
धोनी का यह मंत्र हमें यही सिखाता है — “फोन को छोड़ो, फोकस को थामो।”
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सार्वजनिक रिपोर्ट्स और इंटरव्यू पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल प्रेरणा और जानकारी प्रदान करना है। किसी भी व्यक्तिगत निर्णय या व्यवहार में बदलाव से पहले अपने विशेषज्ञ या मार्गदर्शक से सलाह लें।