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 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर भारत, जापान को पछाड़ तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट बना: नितिन गडकरी

By: Anjon Sarkar

On: Monday, October 13, 2025 8:51 AM

 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की
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भारत की नई आर्थिक उड़ान – आत्मनिर्भरता से वैश्विक नेतृत्व की ओर

2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की, वह दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने विकास की नई परिभाषा लिखी है, और अब देश का लक्ष्य है — 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में आयोजित PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के 120वें वार्षिक सम्मेलन में देश की आर्थिक दिशा और दृष्टिकोण पर विस्तार से बात की।

गडकरी ने कहा कि सरकार का विजन सिर्फ आर्थिक वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नैतिकता (Ethics), अर्थव्यवस्था (Economy) और पर्यावरण (Ecology) — इन तीन स्तंभों पर आधारित एक समग्र विकास मॉडल है।

भारत बना तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार

नितिन गडकरी ने गर्व के साथ बताया कि भारत ने अब जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बनने की उपलब्धि हासिल कर ली है। वर्ष 2014 में जब मौजूदा सरकार ने कार्यभार संभाला था, तब भारत का ऑटो सेक्टर ₹14 लाख करोड़ का था, जो अब बढ़कर ₹22 लाख करोड़ का हो गया है।

उन्होंने कहा कि अगर इसी गति से नवाचार, अनुसंधान और वैकल्पिक ईंधन तकनीकों पर काम जारी रहा, तो अगले पांच वर्षों में भारत दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माता देश बन सकता है।

वैकल्पिक ईंधन से आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

गडकरी ने बताया कि सरकार एथेनॉल, मीथेनॉल, बायोडीज़ल, एलएनजी, इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन फ्यूल जैसे वैकल्पिक ईंधनों को बढ़ावा दे रही है। इन तकनीकों से न केवल प्रदूषण घटेगा बल्कि भारत की ₹22 लाख करोड़ की वार्षिक कच्चे तेल की आयात निर्भरता में भी भारी कमी आएगी।

उन्होंने कहा कि एथेनॉल उत्पादन सुधारों से किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में मक्का (maize) की कीमतों में वृद्धि से किसानों को करीब ₹45,000 करोड़ का सीधा लाभ मिला है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, क्रय शक्ति और आर्थिक स्थिरता में सुधार हुआ है।

लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर में अभूतपूर्व प्रगति

गडकरी ने कहा कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत जो पहले GDP का 16% थी, अब घटकर सिंगल डिजिट में आने की दिशा में है — 2025 के अंत तक इसे 9% तक लाने का लक्ष्य है। इसका श्रेय सरकार द्वारा किए जा रहे बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और सुधारों को जाता है।

उन्होंने सोनीपत में इलेक्ट्रिक ट्रक बैटरी स्वैपिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत का उदाहरण देते हुए बताया कि बिजली से चलने वाले ट्रकों का प्रति किलोमीटर खर्च डीज़ल की तुलना में बहुत कम है। इस तरह के नवाचार भारत को टिकाऊ और सस्ता परिवहन समाधान प्रदान कर रहे हैं।

पर्यावरण संरक्षण और हरित विकास की दिशा में कदम

गडकरी ने कहा कि विकास केवल उद्योगों और सड़कों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह पर्यावरण के साथ तालमेल में होना चाहिए। उन्होंने मथुरा में सीवेज स्लज को बायो-एनर्जी में बदलने और 80 लाख टन पुराने कचरे का उपयोग सड़कों के निर्माण में करने जैसी पहलें साझा कीं। ये प्रयास भारत को एक ग्रीन इकोनॉमी बनाने की दिशा में ले जा रहे हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर – अर्थव्यवस्था की रीढ़

गडकरी ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्गों में हर ₹100 के निवेश से GDP में ₹321 का योगदान होता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने Infrastructure Investment Trust (InvIT) और Toll-Operate-Transfer (TOT) जैसे मॉडल अपनाकर पूंजी बाजार से भारी निवेश आकर्षित किया है।

पहला InvIT बॉन्ड कुछ ही घंटों में सात गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ, जो निवेशकों के भारत की विकास क्षमता पर विश्वास को दर्शाता है।

भारत के मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का खाका

गडकरी ने बताया कि देश में 25 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाए जा रहे हैं जो प्रमुख शहरों और बंदरगाहों को जोड़ेंगे। दिल्ली-कटरा-अमृतसर कॉरिडोर, ज़ोजिला टनल और अन्य सुरंग परियोजनाएँ न केवल यात्रा समय घटाएँगी, बल्कि व्यापार और पर्यटन को भी नई गति देंगी।

उन्होंने बताया कि बौद्ध सर्किट और केदारनाथ में रोपवे प्रोजेक्ट्स जैसे धार्मिक पर्यटन केंद्र भी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत विकसित किए जा रहे हैं, जो रोजगार और राजस्व दोनों में योगदान देंगे।

भारत का विकास केवल सपना नहीं, एक संकल्प है

नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया कि भारत का 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प है। उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वे ग्रामीण और कृषि विकास को प्राथमिकता दें ताकि गाँवों से शहरों की ओर पलायन रुके और संतुलित विकास संभव हो सके।

उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है। यह यात्रा केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है — एक ऐसा सामूहिक प्रयास जो भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।


अस्वीकरण (Disclaimer):
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और आधिकारिक बयानों पर आधारित है। इस लेख का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या संस्था का प्रचार करना नहीं है, बल्कि पाठकों को भारत की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति के बारे में सही जानकारी प्रदान करना है।

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