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 विश्व जिम्नास्टिक चैम्पियनशिप में इस्राइल की भागीदारी पर खेल न्यायालय का फैसला आज

By: Anjon Sarkar

On: Tuesday, October 14, 2025 7:00 AM

विश्व जिम्नास्टिक चैम्पियनशिप
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 खेल की दुनिया में विवाद: इंडोनेशिया और इस्राइल के बीच वीजा विवाद से बढ़ी चिंता

खेल का उद्देश्य हमेशा शांति, एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना रहा है, लेकिन कभी-कभी राजनीति की छाया खेल के मैदान तक पहुँच जाती है। ऐसा ही कुछ इस बार विश्व जिम्नास्टिक चैम्पियनशिप 2025 को लेकर देखने को मिला है। इंडोनेशिया द्वारा इस्राइली खिलाड़ियों को वीजा देने से इनकार करने के बाद अब मामला Court of Arbitration for Sport (CAS) तक पहुँच गया है, जो इस विवाद पर मंगलवार को अपना अंतिम निर्णय सुनाएगा।

यह चैम्पियनशिप 19 से 25 अक्टूबर तक इंडोनेशिया में आयोजित होनी है, जिसमें 79 देशों के 500 से अधिक खिलाड़ी हिस्सा लेने वाले हैं। लेकिन इस्राइली खिलाड़ियों को वीजा न मिलने के कारण उनका भविष्य इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता से बाहर होने के कगार पर है।

 इंडोनेशिया का फैसला और इस्राइल की आपत्ति

पिछले सप्ताह इंडोनेशियाई सरकार ने घोषणा की थी कि वह इस्राइली खिलाड़ियों को देश में प्रवेश की अनुमति नहीं देगी। सरकार ने यह निर्णय फिलिस्तीन के समर्थन में लिया। इसके बाद इस्राइल ने खेल न्यायालय में अपील दायर करते हुए मांग की कि अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक महासंघ (FIG) और इंडोनेशियाई महासंघ सुनिश्चित करें कि इस्राइली टीम को भाग लेने दिया जाए, या फिर चैम्पियनशिप को रद्द या अन्य देश में स्थानांतरित किया जाए।

इस मामले में FIG ने कहा कि वह इंडोनेशियाई सरकार के निर्णय को स्वीकार करता है, लेकिन उम्मीद करता है कि जल्द ही ऐसा वातावरण बने जहाँ दुनिया के सभी खिलाड़ी सुरक्षित और सम्मानपूर्वक खेलों में हिस्सा ले सकें।

 इंडोनेशिया का रुख और FIG की प्रतिक्रिया

इंडोनेशिया जिम्नास्टिक महासंघ की अध्यक्ष इता युलियाती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस्राइली खिलाड़ियों के वीजा आवेदन को आप्रवासन विभाग ने अस्वीकार कर दिया है और इस संबंध में FIG को सूचित कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, “FIG ने हमें बताया है कि वह इंडोनेशियाई सरकार के निर्णय का समर्थन करता है।” यह बयान सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय खेल समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि खेलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए, जबकि कुछ का कहना है कि प्रत्येक देश को अपनी नीतियों के अनुरूप निर्णय लेने का अधिकार है।

 खेलों पर राजनीति की छाया

यह पहली बार नहीं है जब इंडोनेशिया ने इस्राइल की भागीदारी पर आपत्ति जताई है। इससे पहले जुलाई 2023 में देश ने ANOC World Beach Games की मेजबानी से पीछे हट गया था, जब इस्राइल की भागीदारी पर विवाद खड़ा हुआ था। इसी साल मार्च में FIFA Under-20 World Cup की मेजबानी भी इंडोनेशिया से छिन गई थी, जब दो प्रांतीय गवर्नरों ने इस्राइली टीम के आने पर विरोध जताया था।

यह घटनाएँ इस बात का संकेत देती हैं कि वैश्विक खेलों में राजनीतिक तनाव का असर लगातार बढ़ रहा है। जबकि अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों का कहना है कि “खेलों का मैदान” सभी के लिए समान होना चाहिए—जहाँ न धर्म, न राजनीति, बल्कि सिर्फ प्रतिभा और मेहनत मायने रखे।

 कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) का फैसला अहम

अब पूरी दुनिया की निगाहें Court of Arbitration for Sport (CAS) पर टिकी हैं, जो इस्राइल की अपील पर मंगलवार को फैसला सुनाने वाला है। यह निर्णय न केवल इस्राइली खिलाड़ियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय खेल नीतियों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।

अगर अदालत इस्राइल के पक्ष में फैसला देती है, तो यह FIG को प्रतियोगिता को स्थगित या स्थानांतरित करने के लिए बाध्य कर सकता है। वहीं अगर अदालत इंडोनेशिया के निर्णय को वैध मानती है, तो यह भविष्य में कई अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए मिसाल बन सकता है।

 खेलों में एकता और सम्मान का संदेश आवश्यक

खेल हमेशा से देशों के बीच पुल का काम करते आए हैं, न कि दीवारें खड़ी करने का। यह मंच खिलाड़ियों को सीमाओं से परे जाकर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर देता है। लेकिन जब राजनीतिक मतभेद खेल आयोजनों में बाधा डालने लगते हैं, तो खेल की आत्मा आहत होती है।

अंतरराष्ट्रीय खेल निकायों के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि वे ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए स्पष्ट नीतियाँ बनाएं, ताकि खिलाड़ियों का भविष्य किसी राजनीतिक फैसले की भेंट न चढ़े।

 निष्कर्ष – खेलों को राजनीति से अलग रखने की ज़रूरत

विश्व जिम्नास्टिक चैम्पियनशिप 2025 केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि यह परीक्षा है खेल भावना और वैश्विक एकता की। इंडोनेशिया और इस्राइल के बीच यह विवाद हमें याद दिलाता है कि खेल केवल जीत या हार नहीं, बल्कि समानता, सम्मान और भाईचारे का प्रतीक हैं।

अब देखना यह होगा कि खेल न्यायालय का निर्णय खेलों की स्वतंत्रता को कितना सुरक्षित रखता है और क्या यह खेलों को फिर से उनकी मूल भावना—शांति और एकता—की ओर लौटाने में मदद करेगा।

अस्वीकरण: यह लेख पूरी तरह मौलिक है और केवल सूचना एवं जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार उपलब्ध समाचार स्रोतों पर आधारित हैं और किसी पक्ष विशेष का समर्थन या विरोध नहीं करते।

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