
बदहाल अब्दुल कलाम स्टेडियम बना स्थानीय खिलाड़ियों के लिए चिंता का कारण
थाणे जिले का मौलाना अबुल कलाम आज़ाद टीएमसी स्टेडियम, जो कभी मुम्ब्रा और कौसा के मुम्ब्रा के लोगों की मांग युवाओं के लिए खेल का मुख्य केंद्र हुआ करता था, अब जर्जर हालत में पहुंच चुका है। करीब 10 लाख से अधिक आबादी वाले इस इलाके में यही एकमात्र बड़ा खेल परिसर था, जो अब अपनी पहचान खो रहा है। इस स्टेडियम का उद्घाटन जनवरी 2017 में बड़े उत्साह के साथ किया गया था और इसे युवाओं के लिए एक आधुनिक खेल केंद्र के रूप में विकसित किया गया था। लेकिन समय बीतने के साथ यह परिसर उपेक्षा और लापरवाही का शिकार बन गया है।
हाल ही में, ठाणे महानगरपालिका (TMC) द्वारा मुम्ब्रा के इस स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के पास की जमीन मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) को एक निजी क्रिकेट अकादमी स्थापित करने के लिए देने के निर्णय ने स्थानीय निवासियों में आक्रोश फैला दिया है। लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं सुनी गईं, तो वे भूख हड़ताल पर उतरेंगे और जनहित याचिका (PIL) दायर करेंगे।
स्थानीय लोगों का आरोप: खेल परिसर को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है
निवासियों का कहना है कि मौजूदा स्टेडियम की मरम्मत और रखरखाव करने के बजाय, टीएमसी ने महज 500 मीटर दूर स्थित आरक्षित भूखंड को निजी उपयोग के लिए दे दिया है। यह जमीन पहले “ओपन स्पेस” के रूप में आरक्षित थी, जिसका उद्देश्य जनता के उपयोग के लिए था।
मुम्ब्रा निवासी अहमद चौगुले ने बताया कि अब यह परिसर केवल कुछ सुबह टहलने वालों तक सीमित रह गया है। उन्होंने कहा, “यहां दो निजी संस्थाएं अपनी क्रिकेट ट्रेनिंग चला रही हैं, जिनमें से एक एमसीए है। लेकिन ये सुविधाएं आम खिलाड़ियों के लिए नहीं हैं।”
स्थानीय खेल समूहों ने आरोप लगाया है कि जब उन्होंने किसी टूर्नामेंट के लिए मैदान बुक करने की कोशिश की, तो उनसे ₹1 लाख प्रतिदिन किराया मांगा गया। इतनी बड़ी राशि स्थानीय खिलाड़ियों या युवा संगठनों के लिए असंभव है। जावेद खान, मुम्ब्रा-कौसा स्पोर्ट्स काउंसिल के सदस्य ने कहा, “टीएमसी और स्थानीय नेता निजी संस्थानों को लाभ पहुंचाने में जुटे हैं। हमारे इलाके के युवा खिलाड़ियों को न तो अवसर मिल रहा है, न ही सुविधाएं।”

खेल सुविधाएं बदहाल, पूल बंद, कोर्ट टूटे और दीवारों पर फफूंदी
कभी शानदार रहा यह स्टेडियम अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। परिसर का ओलंपिक आकार का स्विमिंग पूल पिछले चार सालों से बंद पड़ा है। टेनिस, बास्केटबॉल और वॉलीबॉल कोर्ट टूट चुके हैं, दीवारों पर फफूंदी और गंदगी ने कब्जा कर लिया है, और कई वॉशरूम में दरवाज़े तक नहीं हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि टीएमसी या किसी जनप्रतिनिधि ने अब तक इस स्टेडियम की सुध नहीं ली। जो कभी युवा खिलाड़ियों के सपनों का केंद्र था, अब एक वीरान ढांचा बन चुका है।
“अगर मैदान छिन गए, तो अपराध और नशे की ओर बढ़ेंगे युवा”
रशीद खान, अध्यक्ष – मुम्ब्रा-कौसा स्पोर्ट्स काउंसिल ने कहा, “मुम्ब्रा ने मोहम्मद सिराज और कमरान खान जैसे खिलाड़ी दिए हैं, जिन्होंने सार्वजनिक मैदानों पर अभ्यास किया। अगर ऐसे मैदान अब निजी अकादमियों को दे दिए जाएंगे, तो गरीब तबके के बच्चों के पास खेलने के लिए कोई जगह नहीं बचेगी। इससे वे खेल से दूर होकर गलत रास्तों की ओर जा सकते हैं।”
रशीद ने आगे कहा कि टीएमसी को अपने स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की मरम्मत और रखरखाव खुद करना चाहिए और स्थानीय निवासियों को मुफ्त या सस्ती पहुंच देनी चाहिए। यही असली रास्ता है जिससे क्रिकेट, फुटबॉल और अन्य खेलों में नए टैलेंट को पहचाना और निखारा जा सकता है।
नई क्रिकेट अकादमी पर उठ रहे सवाल
टीएमसी द्वारा दी गई जमीन पर प्रस्तावित नई क्रिकेट अकादमी में जिम, स्विमिंग पूल, टेनिस कोर्ट और ड्रेसिंग रूम जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी। कहा जा रहा है कि यह ग्राउंड मुंबई के प्रतिष्ठित वानखेडे स्टेडियम के मॉडल पर बनाया जाएगा।
लेकिन सवाल यह उठता है कि जब एमसीए पहले से ही टीएमसी परिसर के अंदर एक निजी क्रिकेट प्रशिक्षण केंद्र चला रहा है, तो उसे अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता क्यों है? स्थानीय लोग इस फैसले को “जनहित के खिलाफ” बता रहे हैं।
निष्कर्ष: मुम्ब्रा को चाहिए अपना खेल मैदान, निजी परियोजनाएं नहीं
मुम्ब्रा और कौसा के लोग यह मानते हैं कि खेल केवल शौक नहीं बल्कि समाज को सही दिशा देने का माध्यम है। अगर सार्वजनिक मैदानों को निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा, तो आने वाली पीढ़ियों के पास न खेलने की जगह बचेगी, न प्रेरणा। टीएमसी के लिए अब यह मौका है कि वह जनता की आवाज सुने और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद टीएमसी स्टेडियम को उसकी पुरानी गरिमा लौटाए।
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस लेख में दी गई जानकारी सार्वजनिक रिपोर्टों और स्थानीय स्रोतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जनहित में सूचना साझा करना है। इस लेख का किसी संस्था या व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है।




